Friday 13 April 2012

हरे मोम की पत्तियां खिड़की पर दस्‍तक देती हैं

हरे मोम की पत्तियां खिड़की पर दस्‍तक देती हैं। अपराह्न के कोई साढ़े पांच बज रहे होते हैं। मैं उन्‍हें सुनता नहीं, लेकिन देख लेता हूं। हरे मोम की पत्तियां बहुत आहिस्‍ते से बोलती हैं।

खिड़कियों के भीतर जो है, वह किसके बाहर है? बाहर का भीतर कैसा होता होगा?

मैं एक हरी आहट देखता हूं, मैं एक हरी छांह का स्‍पर्श अनुभव करता हूं। लेकिन मैं यह सब सुन नहीं पाता। हरी धूप की सांसें बहुत मद्धम लय पर चलती है।

(तस्‍वीर : मेरे कैमरे से।)

2 comments:

  1. बिल्कुल हरा-हरा सा अहसास!

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  2. खिड़कियों के भीतर जो है, वह किसके बाहर है? बाहर का भीतर कैसा होता होगा?
    अहा..! हरी आहट देखता हूं, मैं एक हरी छांह का स्‍पर्श अनुभव करता हूं।.....खूबसूरत ....बहुत सुंदर ....

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