Wednesday 11 April 2012

भेंट में मिला भोपाल

पति के क़त्‍ल के बाद रानी कमलापति ने चैनपुर-बारा के गौंड राजाओं से रक्षा के लिए इस्‍लामनगर के दुर्दांत अफ़गान लड़ाके दोस्‍त मोहम्‍मद ख़ां को बुलावा तो भेज दिया, लेकिन उनके पास दोस्‍त को इसके ऐवज़ में देने के लिए ज्‍़यादा रक़म नहीं थी।

दोस्‍त ने रानी के अनुरोध को क़बूल करते हुए शत्रु गौंड राजाओं को निर्ममता से हलाक़ कर दिया। रानी ने दोस्‍त को एक लाख रुपए देने का वायदा किया था, लेकिन वे उसे महज़ पचास हज़ार रुपए ही दे पाईं। अब सवाल यह था कि बाक़ी पचास हज़ार रुपयों का इंतज़ाम कैसे किया जाए।

रानी ने फ़ैसला किया कि इन रुपयों के ऐवज़ में बेरसिया और गिन्‍नौर के बीच बड़ी झील के किनारे आबाद बस्‍ती दोस्‍त मोहम्‍मद ख़ां को तोहफ़े में दे दी जाए।

ये बस्‍ती भोपाल थी।

भेंट में मिला भोपाल दोस्‍त मोहम्‍मद ख़ां की सल्‍तनत की गादी बना और इसी के साथ भोपाल रियासत की शुरुआत हुई। ये कोई 1720 के आसपास की बात है।

(शहरयार ख़ां की किताब 'द बेगम्‍स ऑफ़ भोपाल' को आज बांचना शुरू कर दिया। ये ख़ूबसूरत किताब वीवा बुक्‍स से आई है। पाकिस्‍तान के वरिष्‍ठ राजनयिक रहे शहरयार ख़ां भोपाल रियासत के वंशज हैं।)

1 comment:

  1. बहुत रोचक जानकारी, सुशोभित. खासकर रानी कमलापति का डी-कम्पनी (दोस्त मोहम्मद) को न्यौता देकर बुलाना. उस जमाने में भी वही सुपारी खाते थे!

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