इत्‍यादि

Tuesday, 5 June 2012

स्‍वप्‍न और स्‍वप्‍नभंग का सिनेमा

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अगर हम आज पीछे मुड़कर भारत देश के तिथिक्रम पर नज़र डालें तो पाएंगे कि 1950 का दशक उसके लिए स्‍वप्‍नों का दशक था। नवनिर्माण का स्‍वप्‍न, ...
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Sunday, 6 May 2012

अफ़सानों के प्रेत

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ये भोपाल का मिंटो हॉल है। पुराना विधानसभा भवन। सम्राट जॉर्ज पंचम के ताज के आकार की ये इमारत 1909 में बनना शुरू हुई थी और इसका एक लंबा औ...
Wednesday, 2 May 2012

ईश्‍वर का मौन

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'गॉड्स साइलेंस'। ईश्‍वर का मौन। अरसे बाद कोई फिल्‍म देखी। इंगमर बर्गमैन की 'विंटर लाइट' कोई सालभर पहले भी देखी थी। तभी से...
Friday, 13 April 2012

हरे मोम की पत्तियां खिड़की पर दस्‍तक देती हैं

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हरे मोम की पत्तियां खिड़की पर दस्‍तक देती हैं। अपराह्न के कोई साढ़े पांच बज रहे होते हैं। मैं उन्‍हें सुनता नहीं, लेकिन देख लेता हूं। हरे मो...
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Wednesday, 11 April 2012

भेंट में मिला भोपाल

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पति के क़त्‍ल के बाद रानी कमलापति ने चैनपुर-बारा के गौंड राजाओं से रक्षा के लिए इस्‍लामनगर के दुर्दांत अफ़गान लड़ाके दोस्‍त मोहम्‍मद ख़ां को...
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Tuesday, 10 April 2012

हर शहर में चंद गली-मोहल्ले रहते हैं

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अमिताभ बच्‍चन की ‘डॉन’ में बंबई नगरिया पर एक गाना था, जिसके अंतरे में कुछ इस आशय की पंक्तियां हैं : कोई बंदर नहीं है फिर भी नाम बांदरा, चर्च...
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एक अनवरत क्षण...

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द ऑनगोइंग मोमेंट... एक अनवरत क्षण। मैं किताब के पन्‍ने उलटता हूं। कविता की एक पंक्ति पर मेरी नज़र टिक जाती है। हर वह चेहरा जो मेरे क़रीब स...
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Sushobhit Saktawat
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