'गॉड्स साइलेंस'। ईश्वर का मौन।
अरसे बाद कोई फिल्म देखी। इंगमर बर्गमैन की 'विंटर लाइट' कोई सालभर पहले भी देखी थी। तभी से ख़्याल था यह फिल्म दोबारा देखना है। एक साल से 'विंटर लाइट' कलेजे के किसी कोने में पाले की तरह जमी थी।
यह फिल्म ईश्वर के मौन के बारे में है। यह फिल्म ईश्वर की अनुपस्थिति के बारे में है।
यह फिल्म अस्तित्व के 'वृहद अरण्य' में एक संबल की अनुपस्थिति के विषय में है।
'विंटर लाइट' यातना के अभिप्रायों पर भी बात करती है। वह पूछती है कि ईश्वर के बेटे को जब सूली पर चढ़ाया गया, तो उसकी शारीरिक यातना का इतना बखान क्यों किया जाता है? वैसी यातनाएं तो जाने कितने नश्वर प्राणी आजीवन झेलते हैं। नहीं उसकी यातना कुछ और है। उसकी यातना न समझे जाने की है, अकेला छोड़ दिए जाने की है। तभी तो सूली पर चढ़ाए जाने के बाद ईश्वर के बेटे ने परमपिता को पुकारते हुए कहा था : हे प्रभु, तुम्हें मुझे क्यूं भुला दिया?
यह फिल्म ईश्वर द्वारा यातना के क्षणों में हमें भुला दिए जाने के बारे में है। यह फिल्म हमें अकेला कर जाती है।
सिने समीक्षक अक्सर कहते हैं कि यह इंगमर बर्गमैन के कैथोलिक विश्वासों की पड़ताल करती फिल्म है। 'विंटर लाइट' को 'थ्रू अ ग्लास डार्कली' और 'द साइलेंस' के साथ बर्गमैन की रिलीजियस फ़ेथ ट्रायलॉजी कहा भी जाता है। लेकिन वास्तव में यह फिल्म किन्हीं आस्थाओं के बारे में नहीं है, यह फिल्म आस्थाओं की असंभवता के बारे में है, जैसाकि फिल्म के अंत में मार्ता, तोमास से कहती है : काश कि हम विश्वास कर पाते! ओह, हम विश्वास कर पाने में असमर्थ क्यों हैं?
इंगमर बर्गमैन अपने चरित्रों की आत्माओं में गहरे तक घुसपैठ करते हैं। जिन नश्वर प्राणियों को ईश्वर ने भुला दिया, उन्हें बर्गमैन अपने संशयों में अकेला छोड़ने को हरगिज़ तैयार नहीं।
अरसे बाद कोई फिल्म देखी। इंगमर बर्गमैन की 'विंटर लाइट' कोई सालभर पहले भी देखी थी। तभी से ख़्याल था यह फिल्म दोबारा देखना है। एक साल से 'विंटर लाइट' कलेजे के किसी कोने में पाले की तरह जमी थी।
यह फिल्म ईश्वर के मौन के बारे में है। यह फिल्म ईश्वर की अनुपस्थिति के बारे में है।
यह फिल्म अस्तित्व के 'वृहद अरण्य' में एक संबल की अनुपस्थिति के विषय में है।
'विंटर लाइट' यातना के अभिप्रायों पर भी बात करती है। वह पूछती है कि ईश्वर के बेटे को जब सूली पर चढ़ाया गया, तो उसकी शारीरिक यातना का इतना बखान क्यों किया जाता है? वैसी यातनाएं तो जाने कितने नश्वर प्राणी आजीवन झेलते हैं। नहीं उसकी यातना कुछ और है। उसकी यातना न समझे जाने की है, अकेला छोड़ दिए जाने की है। तभी तो सूली पर चढ़ाए जाने के बाद ईश्वर के बेटे ने परमपिता को पुकारते हुए कहा था : हे प्रभु, तुम्हें मुझे क्यूं भुला दिया?
यह फिल्म ईश्वर द्वारा यातना के क्षणों में हमें भुला दिए जाने के बारे में है। यह फिल्म हमें अकेला कर जाती है।
सिने समीक्षक अक्सर कहते हैं कि यह इंगमर बर्गमैन के कैथोलिक विश्वासों की पड़ताल करती फिल्म है। 'विंटर लाइट' को 'थ्रू अ ग्लास डार्कली' और 'द साइलेंस' के साथ बर्गमैन की रिलीजियस फ़ेथ ट्रायलॉजी कहा भी जाता है। लेकिन वास्तव में यह फिल्म किन्हीं आस्थाओं के बारे में नहीं है, यह फिल्म आस्थाओं की असंभवता के बारे में है, जैसाकि फिल्म के अंत में मार्ता, तोमास से कहती है : काश कि हम विश्वास कर पाते! ओह, हम विश्वास कर पाने में असमर्थ क्यों हैं?
इंगमर बर्गमैन अपने चरित्रों की आत्माओं में गहरे तक घुसपैठ करते हैं। जिन नश्वर प्राणियों को ईश्वर ने भुला दिया, उन्हें बर्गमैन अपने संशयों में अकेला छोड़ने को हरगिज़ तैयार नहीं।
No comments:
Post a Comment