द ऑनगोइंग मोमेंट... एक अनवरत क्षण।
मैं किताब के पन्ने उलटता हूं। कविता की एक पंक्ति पर मेरी नज़र टिक जाती है। हर वह चेहरा जो मेरे क़रीब से होकर गुज़रता है, एक राज़ है। यह वर्ड्सवर्थ है। मैं एक और पन्ना उलटता हूं, एक अश्वेत रोते हुए अकॉर्डियन बजा रहा है और उसकी महिला श्रोता उसे रोते हुए सुन रही हैं। तस्वीर के नीचे लिखा है : गोइंग होम, 1945। ये एड क्लार्क की तस्वीर है।
रुदन एक अनवरत क्षण है। अपरिचय का रोमान अनवरत है। घर जाना, अनवरत। तस्वीरें और कविताएं एक-दूसरे के कानों में फुसफुसाती हैं।
ये किताब सड़कों और बेंचों को अलग-अलग तरह से देखने के बारे में है। यह उन्हीं लेकिन इसके बावजूद अलग-अलग सड़कों और बेंचों के बारे में है। सड़कें कभी एक जैसी नहीं होतीं, न ही बेंचे एक जैसी होती हैं। सड़कें बेंचों के क़रीब से एक राज़ बनकर गुज़रती हैं। बेंचें एक ऐसा अकॉर्डियन हैं, जिसे बहुत दिनों से बजाया नहीं गया। रुदन अनवरत है, प्रतीक्षा अनवरत।
नींद का दरवाज़ा स्वप्न के दरवाज़े पर दस्तक देता है।
आह! ये एक ख़ूबसूरत किताब है। ये हमें उन दरवाज़ों की ख़बर देती है, जो रात की नंगी पीठ की तरफ़ खुलते हैं और रोशनियों को बांहों में भरने हाथ फैला देते हैं।
(ज्यौफ़ डायर की किताब 'द ऑनगोइंग मोमेंट' आज मिली।)
मैं किताब के पन्ने उलटता हूं। कविता की एक पंक्ति पर मेरी नज़र टिक जाती है। हर वह चेहरा जो मेरे क़रीब से होकर गुज़रता है, एक राज़ है। यह वर्ड्सवर्थ है। मैं एक और पन्ना उलटता हूं, एक अश्वेत रोते हुए अकॉर्डियन बजा रहा है और उसकी महिला श्रोता उसे रोते हुए सुन रही हैं। तस्वीर के नीचे लिखा है : गोइंग होम, 1945। ये एड क्लार्क की तस्वीर है।
रुदन एक अनवरत क्षण है। अपरिचय का रोमान अनवरत है। घर जाना, अनवरत। तस्वीरें और कविताएं एक-दूसरे के कानों में फुसफुसाती हैं।
ये किताब सड़कों और बेंचों को अलग-अलग तरह से देखने के बारे में है। यह उन्हीं लेकिन इसके बावजूद अलग-अलग सड़कों और बेंचों के बारे में है। सड़कें कभी एक जैसी नहीं होतीं, न ही बेंचे एक जैसी होती हैं। सड़कें बेंचों के क़रीब से एक राज़ बनकर गुज़रती हैं। बेंचें एक ऐसा अकॉर्डियन हैं, जिसे बहुत दिनों से बजाया नहीं गया। रुदन अनवरत है, प्रतीक्षा अनवरत।
नींद का दरवाज़ा स्वप्न के दरवाज़े पर दस्तक देता है।
आह! ये एक ख़ूबसूरत किताब है। ये हमें उन दरवाज़ों की ख़बर देती है, जो रात की नंगी पीठ की तरफ़ खुलते हैं और रोशनियों को बांहों में भरने हाथ फैला देते हैं।
(ज्यौफ़ डायर की किताब 'द ऑनगोइंग मोमेंट' आज मिली।)
बेंचें एक ऐसा अकॉर्डियन हैं, जिसे बहुत दिनों से बजाया नहीं गया।
ReplyDeleteशायद या वाक़ई...
वाक़ई।
ReplyDelete